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यह विंग हिंदी में परीक्षाएं आयोजित करता है, जैसे, परिचय, प्राथमिक, मध्यमा, राष्ट्रभाषा, प्रवेशिका, राष्ट्रभाषा विशारद और राष्ट्रभाषा प्रवीण ।
हिंदी प्रचार सभा में कितने स्तर होते हैं?
सभा को चार प्रभागों में विभाजित किया गया है, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्यों के लिए एक-एक।
हिंदी प्रचार सभा प्रमाण पत्र का क्या उपयोग है?
भारत के दक्षिणी हिस्सों में हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से निकाय की स्थापना की गई थी। दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा (डीबीएचपीएस) का मोटे तौर पर दक्षिण भारत हिंदी प्रचार पैनल में अनुवाद किया जा सकता है। यह हिंदी में या हिंदी शिक्षण में दक्षता के लिए डिग्री, डिप्लोमा और प्रमाण पत्र प्रदान करता है।
परिचय परीक्षा क्या है?
प्राथमिक के लिए उपस्थित होने से पहले परिचय प्रारंभिक परीक्षा होगी। पाठ्यक्रम को एक व्यस्त तरीके से सीखने के लिए डिज़ाइन किया गया है और साथ ही छात्रों को नई भाषा से परिचित कराने के लिए अक्षर और शब्द लिखे गए हैं।
मातृभाषा के प्रचार और प्रसार के लिए क्या क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
3. केंद्र और राज्य सरकारों को दसवीं के बजाय 12वीं कक्षा तक हिंदी भाषा और साहित्य को अनिवार्य भाषा बनाना चाहिए. केंद्र सरकार की मौजूदा नीति में कई झोल हैं जिसके चलते अनेक बच्चे अपनी मातृभाषा पढ़ने के बजाय विदेशी भाषा पढ़ने को तवज्जो देते हैं.
महात्मा गांधी ने हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की स्थापना कब की थी?
हिन्दी भाषा के प्रचार के द्वारा जन-जागरण, प्रजातंत्र की जीवन-प्रणाली के प्रति आस्था उत्पन्न करने तथा राष्ट्रीय एकीकरण को सिंचित करने के पावन उद्देश्य से सन् 1918 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी ने दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा की नींव डाली थी और वे आजीवन इस संस्था के अध्यक्ष रहे।
राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा की स्थापना कब हुई थी?
राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, महाराष्ट्र के वर्धा में स्थित एक हिन्दी सेवी संस्था है जिसकी स्थापना सन् १९३६ ई. में हुई।
हमारे जीवन में परीक्षा का क्या महत्व है?
श्रेष्ठता की पहचान और किसी स्थिति का सामना करने की तैयारी का निरिक्षण ही सदैव परीक्षा का उद्देश्य रहा है। परीक्षा हमें हमारी कमियों और हमारी ताकत के बारे में बताती है। यह एक ऐसे मित्र की तरह है जो हमे सच्चाई का आइना दिखता है। यदि परीक्षाओं का अस्तित्व न होता तो शायद जिन्दगी में आगे बढ़ना बहुत कष्टदायक होता।
परीक्षा का उद्देश्य क्या है?
छात्रों के वास्तविक मूल्यांकन के लिए आवश्यक
परीक्षा के उद्देश्यों का स्प्ष्टीकरण। परीक्षा पास करने पर सर्टिफिकेट प्रदान करने हेतु। छात्रों की उन्नति तथा प्रगति का आंकलन
छात्रवृति प्रदान करने में सहायक। विद्यालय तथा अध्यापकों की निपुणता की जांच करने हेतु सहायक
व्यक्तित्व की जांच के लिए।
विद्यार्थी जीवन में परीक्षा का क्या महत्व है?
परीक्षाओं के प्राप्तांक दर्शाते हैं कि किसी छात्र ने कितना सीखा है
उसने कितना प्रयास किया है। ये (परीक्षाएँ) यह भी दिखलाती हैं कि शिक्षक उचित ढंग से पढ़ाने में समर्थ रहे हैं या नहीं। परीक्षाएँ छात्रों के बीच स्वस्थ प्रतियोगिता को प्रेरित करती हैं। वे अच्छे अंक पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
विद्यालय पाठ्यक्रम में मातृभाषा का क्या महत्व है?
मातृभाषा का महत्व
मातृभाषा से बच्चों का परिचय घर और परिवेश से ही शुरू हो जाता है। इस भाषा में बातचीत करने और चीज़ों को समझने-समझाने की क्षमता के साथ बच्चे विद्यालय में दाख़िल होते हैं। अगर उनकी इस क्षमता का इस्तेमाल पढ़ाई के माध्यम के रूप में मातृभाषा का चुनाव करके किया जाये तो इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।
मातृभाषा को कैसे परिभाषित करेंगे?
जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है।
मातृभाषा का शिक्षण में क्या योगदान है?
मातृभाषा के गर्भ में जातीय बुिद्ध को पूर्ण और उच्च प्रकृित बनाने की शक्ति होती है। मातृभाषा के प्रचार से सदाचार को किसी विचित्र तथा विलक्षण मानसिक प्रभाव के कारण अत्यंत लाभ होता है। मातृभाषा के द्वारा हम जो सीखते हैं, वह संसार के अन्य किसी भाषा के द्वारा नहीं सीख सकते।
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की स्थापना में किसका योगदान है?
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सन् 1918 में दक्षिण भारत में हिन्दी प्रचार का आंदोलन प्रारंभ किया था। उसके फलस्वरूप दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा की स्थापना सन् 1918 में मद्रास नगर के गोखले हाल में डॉ. सी. पी. रामस्वामी अय्यर की अध्यक्षता में डॉ. ऐनी बेसेंट ने की थी।
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार संस्था मद्रास के संस्थापक कौन थे?
Dakshina Bharat Hindi Prachar Sabha
प्रसार साहित्य क्या होता है?
भारतेंदु युग में हिंदी साहित्य निर्माण का कार्य प्रचुर मात्रा में हुआ, खासकर हिंदी गद्य साहित्य में। हिंदी को मजबूत धरातल प्रदान करने में भारतेंदु और भारतेंदु मंडल साहित्यकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का गठन कब किया गया?
भारतीय स्वाधीनता की सिद्धि के बाद की राज्य सरकार ने बिहार विधान सभा द्वारा सन् 1948 ई. में स्वीकृत एक संकल्प के परिणामस्वरूप बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् की स्थापना राष्ट्रभाषा हिंदी की सर्वांगीण समृद्धि की सिद्धि के पवित्र उद्देश्य से सन् 1950 ई. के जुलाई मास के मध्य में की और इसका उद्घाटन समारोह, 11 मार्च सन् 1951 ई.
राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?
आचार्य काकासाहब कालेलकर की अध्यक्षता में 22 मई 1937 को पूना में महाराष्ट्र के रचनात्मक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक और सांस्कृतिक नेताओं आदि का सम्मेलन संपन्न हुआ जिसमें महाराष्ट्र हिंदी प्रचार समिति के नाम से एक संगठन बनाया गया। आठ साल तक यह समिति, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा से संबद्ध रही।
राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा से निकलने वाली मासिक पत्रिका का नाम क्या है?
सबकी बोलीः सन् 1936 ई. में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्ध के तत्वावधन में ‘सबकी बोली’ नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ हुआ।
परीक्षा का महत्व पर अपने विचार ८ १० वाक्यों में लिखिए?
जब हमारी परीक्षा होती है तभी हमें और दूसरों को पता लग पाता है कि हममें कितनी काबिलियत है। हम साल भर परीक्षा की तैयारी करते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि जब हमारी परीक्षा होगी तो उसके बाद जो परिणाम निकलेगा उसका हमारे जीवन पर काफी प्रभाव पड़ेगा वास्तव में परीक्षाओ का और हमारे जीवन की परीक्षाओं का बहुत ही महत्व होता है।
परीक्षा और परीक्षा में क्या अंतर है?
अमेरिकन हेरिटेज डिक्शनरी के अनुसार, परीक्षा का अर्थ है the एक परीक्षा
एक परीक्षा। ‘तो, परीक्षा शब्द का मतलब परीक्षा है। यह शब्द का संक्षिप्त रूप है इंतिहान। हालांकि, जब आप परीक्षा शब्द का उपयोग करते हैं तो आप एक बहुत ही औपचारिक परीक्षा का उल्लेख कर रहे हैं।
परीक्षा का शिक्षा में क्या महत्व है इस विषय पर 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए?
जीवन में सफलता प्राप्त करने और कुछ अलग करने के लिए शिक्षा सभी के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण साधन है। यह हमें जीवन के कठिन समय में चुनौतियों से सामना करने में सहायता करता है। शिक्षा स्त्री और पुरुषों दोनों के लिए समान रूप से आवश्यक है, क्योंकि स्वास्थ्य और शिक्षित समाज का निर्माण यह दोनों मिलकर ही कर सकते हैं।
इसका उद्देश्य क्या है?
उद्देश्य एक पूर्वदर्शित लक्ष्य है जो किसी क्रिया को संचालित करता है अथवा व्यवहार को प्रेरित करता है। यदि लक्ष्य निश्चित तथा स्पष्ट होता है तो व्यक्ति की दिया उस समय तह उत्साहपूर्वक चलती रहती है, जब तक वह उस लक्ष्य ओ प्राप्त नहीं कर लेता। जैसे-जैसे लक्ष्य के निकट आता जाता है जब व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है।
शिक्षा की परिभाषा क्या है?
व्यापक अर्थ में शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है।